एसबीआई ने बचत खाते में न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता खत्म की, बचत खातों पर ब्याज दर घटाकर 3% की गई

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने होली के बाद अपने ग्राहकों को बड़ी खुशखबरी दी है। दरअसल, बुधवार यानी 11 मार्च को बैंक की तरफ से सभी तरह के सेविंग अकाउंट में प्रतिमाह न्यूनतम बैलेंस रखने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। एसबीआई बैंक के इस फैसले से 44.51 करोड़ ग्राहकों को फायदा होगा। अभी तक एसबीआई खाताधारकों को सेविंग अकाउंट में प्रतिमाह एक तयशुदा राशि रखना अनिवार्य होता है। ऐसा न होने पर बैंक की तरफ से ग्राहकों से पेनल्टी के तौर पर 5 से 15 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से काट लिए जाते थे।


प्रतिमाह न्यूनतम बैलेंस रखने की सीमा
शहरी इलाकों में एसबीआई खाताधारकों को न्यूनतम बैलेंस के तौर पर 3000 रुपए रखना होता है। वहीं कस्बों के लिए यह लिमिट 2000 रुपए है, जबकि ग्रामीण इलाकों के लिए न्यूनतम बैलेंस की लिमिट 1,000 रुपए थी।


सभी बचत खातों पर 3 फीसदी की दर से मिलेगा ब्याज
एसबीआई ने सभी बचत खातों पर ब्याज दर समान रुप से तीन प्रतिशत वार्षिक कर दिया है। मौजूदा वक्त में एसबीआई सेविंग अकाउंट पर एक लाख तक के डिपॉजिट पर 3.25% ब्याज मिलता है, जबकि एक लाख से ज्यादा के डिपॉजिट पर 3% की दर से ब्याज मिलता है। इसके अलावा बैंक ने तिमाही आधार पर एसएमएस सेवा के लिए वसूले जाने वाले शुल्क को भी खत्म कर दिया है। एसबीआई संपत्ति, डिपॉजिट, ब्रांच, ग्राहक और कर्मचारी के मामले में भारत का सबसे बड़ा कामर्शियल बैंक है। यह गिरवी रखकर कर्ज देकर वाला सबसे बड़ा बैंक भी है। 31 दिसंबर 2019 तक बैंक की 21,959 ब्रांच में 31 लाख करोड़ रुपए का डिपॉजिट हुआ है।


ज्यादा लोगों के चेहरे पर आएगी खुशी
एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि यह फैसला और अधिक लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाला होगा। बैंक का कहना है कि ‘सबसे पहले ग्राहक हित’ की अवधारणा पर चलते हुए उसने यह कदम उठाया है। इसके अलावा बैंक ने बचत खातों पर वार्षिक ब्याज दरों को तर्कसंगत बनाते हुए सभी श्रेणियों के लिए घटाकर 3% कर दिया है।


नोटबंदी के वक्त न्यूनतम बैलेंस न रखने पर एसबीआई को झेलनी पड़ी थी आलोचना
एसबीआई की तरफ से नोटबंदी के वक्त में बैंक खाते में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर शुल्क के तौर पर मोटी कमाई की थी। वित्त मंत्रालय के डेटा के मुताबिक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने अप्रैल से नवंबर, 2017 के बीच न्यूनतम बैलेंस न रखने वाले खातों से 1,771 करोड़ रुपए कमाए थे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जुलाई से सितंबर 2017 की तिमाही में 1,581 करोड़ की वसूली की थी, जो कि बैंक की दूसरी तिमाही के मुनाफे से भी ज़्यादा थी।